1. बरसते बादल

   

 

झम-झम-झम-झम मेघ बरसते हैं सावन के

छम-छम-छम गिरती बूँदें तरुओं से छन के।

चम चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,

थम-थम दिन के तम में सपने जगते मन के।।


दादुर टर-टर करते झिल्ली बजती झन-झन,

‘म्यव-म्यव’ रे मोर, 'पीउ' 'पीउ' चातक के गण।

उड़ते सोन बलाक, आर्द-सुख से कर क्रंदन,

घुमड़-घुमड़ गिर मेघ गगन में भरते गर्जन।।